नई दिल्ली: एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. जेडीयू के बाद अब बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना भी नाराज चल रही है. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में मनमुटाव है. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. दोनों पार्टियां यहां अपना-अपना मुख्यमंत्री चाहती हैं. शिवसेना ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला चाहती है, वहीं, अमित शाह महाराष्ट्र में बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहते हैं.
शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने कहा था कि दोनों दलों में ज़िम्मेदारियां बराबर बांटी जाएंगी. ऐसे में मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल भी बराबरी से बांटा जाएगा. उन्होंने कहा कि हमें अमित शाह जी की बात पर पूरा भरोसा है. आख़िरी निर्णय अमित शाह और उद्धव ठाकरे लेंगे.
उधर, इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की भी नाराजगी सामने आई थी. बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही JDU का कोई भी मंत्री केंद्र सरकार में शामिल नहीं है. हालांकि नीतीश कुमार ने यह साफ किया है कि हम पहले भी साथ थे और आगे भी रहेंगे. नीतीश कुमार ने कहा था कि जेडीयू के किसी भी नेता को केंद्र में मंत्रिमंडल न देने का मुद्दा अब खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा कि केंद्र में बीजेपी की अपनी बहुमत की सरकार है और सरकार चलाने के लिए उनको किसी सहयोगी दल की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर भविष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र और बिहार सरकार साथ मिलकर काम कर रही है. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी साथ मिलकर लड़ेगी.
हालांकि रविवार को पटना में जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया कि जेडीयू बिहार के बाहर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी. बैठक में हुए फैसले के अनुसार नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड बिहार के बाहर होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव अकेली लड़ेगी. बता दें कि हाल ही में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था, जिसमें जेडीयू के 8 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बीजेपी से किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया.